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Wangchoo

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वाङ्चू वाङ्चू सुख्यात कथाकार भीष्म साहनी की ग्यारह कहानियों का संग्रह है। इन कहानियों में सोद्देश्यतानिर्वहन के साथ-साथ हृदयग्राही अन्तरंगता और रसमयता दर्शनीय है। इन्हें व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है, किन्तु जीवन-सन्दर्भों के चयन में विविधता रखी गई है जिससे रोचकता और प्रभाव में वृद्धि हुई है। इस प्रसंग में संग्रह की एक कहानी 'वाङ्चू' - जिसके आधार पर पुस्तक का नामकरण हुआ है - और दूसरी कहानी 'राधा-अनुराधा' को ले सकते हैं। पहली में एक विस्थापित चीनी मानस की निरीहता का चित्रण है तो दूसरी, अभावों और यातनाओं में पली एक निम्नवर्गीय किशोरी नायिका के रोमांस की करुण उच्छ्वास-कथा है। 'ओ हरामजादे' शीर्षक व्यंग्यात्मक है, किन्तु कहानी प्रवासी भारतीय मानस की पीड़ा की परतों को खोलती है। इसी तरह और-और कहानियाँ मन पर अलग-अलग प्रभाव छोड़ती हैं तथा आज के सामाजिक जीवन की विषमताओं को रेखांकित करती हैं।

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9788126705382
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 138
  • Udgivet:
  • 1. januar 2016
  • Størrelse:
  • 140x11x216 mm.
  • Vægt:
  • 327 g.
  • 2-3 uger.
  • 12. december 2024
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Beskrivelse af Wangchoo

वाङ्चू वाङ्चू सुख्यात कथाकार भीष्म साहनी की ग्यारह कहानियों का संग्रह है। इन कहानियों में सोद्देश्यतानिर्वहन के साथ-साथ हृदयग्राही अन्तरंगता और रसमयता दर्शनीय है। इन्हें व्यापक सामाजिक परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है, किन्तु जीवन-सन्दर्भों के चयन में विविधता रखी गई है जिससे रोचकता और प्रभाव में वृद्धि हुई है। इस प्रसंग में संग्रह की एक कहानी 'वाङ्चू' - जिसके आधार पर पुस्तक का नामकरण हुआ है - और दूसरी कहानी 'राधा-अनुराधा' को ले सकते हैं। पहली में एक विस्थापित चीनी मानस की निरीहता का चित्रण है तो दूसरी, अभावों और यातनाओं में पली एक निम्नवर्गीय किशोरी नायिका के रोमांस की करुण उच्छ्वास-कथा है। 'ओ हरामजादे' शीर्षक व्यंग्यात्मक है, किन्तु कहानी प्रवासी भारतीय मानस की पीड़ा की परतों को खोलती है। इसी तरह और-और कहानियाँ मन पर अलग-अलग प्रभाव छोड़ती हैं तथा आज के सामाजिक जीवन की विषमताओं को रेखांकित करती हैं।

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