Paradhin Sapnehun Sukh Nahi
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- Indbinding:
- Hardback
- Sideantal:
- 150
- Udgivet:
- 11. juni 2021
- Størrelse:
- 140x216x10 mm.
- Vægt:
- 308 g.
- 2-3 uger.
- 17. december 2024
Forlænget returret til d. 31. januar 2025
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Beskrivelse af Paradhin Sapnehun Sukh Nahi
।।बहनपा बढ़ाती स्त्रियों की कथा।। नीलिमा सिंह की कथा यात्रा कभी समतल जमीन पर चलती हुई नहीं दिखाई देती है। मानवीय मन की सफल चितेरी नीलिमा ने सामंती ढांचों को तोड़ती हुई स्त्री की कथा लिखी है। स्त्री का दुख अपार है तो उसमें, उससे निजात पाने की ताकत भी गजब है। किसी भी स्त्री को नीलिमा ने हाथ पर हाथ धर के बैठते, सर पीटते अपने आप को कोसते हुए नहीं दिखाया है। एक स्त्री यदि अनेक कारणों से अपने आपको खड़ी न कर पाए हो तो सहारा भी दूसरी स्त्री ही देती है। नीलिमा सिंह यहां विश्वबांधवी मंच की पैरोकार दिखाई देती है। 'ममता में ज्यों भींग गयो मन' की कन्या चाची का पुत्र बिछोह कुछ अजीब कैफियत उपस्थित करता है। उसको जीवन भर उपेक्षित रखा गया,पर समय बदला उसकी पुत्र बहू ने उसे स्नेह की थपकी दें पुनर्जीवित किया।' तर्पण' एक औरत की मार्मिक कहानी है ।संतान से उपेक्षित माता की कहानी है जिसे जिस उद्धात भाव से सावित्री ने लिया है वैसे ही उसे लेखिका ने उकेरा है।' उसके हिस्से के सच' कहानी में नायिका स्त्री है रीता सिंह, तो खलनायिका भी स्त्री ही है,वह है बेला सिंह । नीलिमा सिंह की कहानियों की औरतें अनेक प्रकार से सशक्त है । वह सशक्तिकरण कानूनन गलत भी हो सकता है । 'एक रात ऐसी भी' की नायिका उल्फा उग्रवादी बन जाती है। पर उसके अंतर्मन में स्नेह और करूणा कि अजस्त्र धार बहती दिखाई देती है। 'न जमी अपनी ना आस्मा अपना' की कोठे पर गाने वाली सुलोचना बाई का चरित्र अंधकार में प्रकाश पुंज लेकर चलने वाली निश्चल स्त्री की है । अमुमन कोठेवालियों को लोग धनलोलुप दिखाते हैं, यहां सुलोचना का चरित्र सकारात्मक है। लेखिका की सोच सकारात्मक है। उन्होंने इस तरह की स्त्रियों की कहानियां लिखी हैं जो समाज के सामने जादुई चिराग लेकर चलती है। मैं आशा व्यक्त करती हूं पाठकों को कहा
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