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Konkani Ki Lokpriya Kahaniyan

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कोंकणी की लोकप्रिय कहानियाँ अब हिंदी क्षेत्र के माध्यम से राष्ट्रीय पटल पर पहुँच रही हैं तथा राष्ट्रीय प्रवाह में भी पहुँची हैं। केवल साहित्य से नहीं, संपूर्ण कोंकणी संस्कृति, कोंकणी लोगों का रहन-सहन, खाना-पीना, उनका लोक-साहित्य, उनका इतिहास आदि से भारत के लोग परिचित हो जाएँगे। इस कथा-संग्रह में हमने पंद्रह कोंकणी कहानियों का समावेश किया है। भारतीय भाषाओं के साथ शामिल होने का अधिकृत सम्मान कोंकणी को सन् 1975 में प्राप्त हुआ, जब कोंकणी को साहित्य अकादेमी से मान्यता प्राप्त हुई। कोंकणी कथा लिखनेवाले लगभग 50 से ज्यादा लेखक हैं, लेकिन इस कथा-संग्रह में सिर्फ पंद्रह कथाएँ हैं। वास्तव में, कोंकणी की प्रतिनिधि कहानियों को इस संग्रह में स्थान दिया गया है। विश्वास है कि कोंकणी की ये श्रेष्ठ कहानियाँ हिंदी पाठकों के बीच भी खूब लोकप्रिय होंगी।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789390923137
  • Indbinding:
  • Hardback
  • Sideantal:
  • 178
  • Udgivet:
  • 21. december 2021
  • Størrelse:
  • 152x14x229 mm.
  • Vægt:
  • 431 g.
  • 2-3 uger.
  • 19. december 2024
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Beskrivelse af Konkani Ki Lokpriya Kahaniyan

कोंकणी की लोकप्रिय कहानियाँ अब हिंदी क्षेत्र के माध्यम से राष्ट्रीय पटल पर पहुँच रही हैं तथा राष्ट्रीय प्रवाह में भी पहुँची हैं। केवल साहित्य से नहीं, संपूर्ण कोंकणी संस्कृति, कोंकणी लोगों का रहन-सहन, खाना-पीना, उनका लोक-साहित्य, उनका इतिहास आदि से भारत के लोग परिचित हो जाएँगे। इस कथा-संग्रह में हमने पंद्रह कोंकणी कहानियों का समावेश किया है। भारतीय भाषाओं के साथ शामिल होने का अधिकृत सम्मान कोंकणी को सन् 1975 में प्राप्त हुआ, जब कोंकणी को साहित्य अकादेमी से मान्यता प्राप्त हुई। कोंकणी कथा लिखनेवाले लगभग 50 से ज्यादा लेखक हैं, लेकिन इस कथा-संग्रह में सिर्फ पंद्रह कथाएँ हैं। वास्तव में, कोंकणी की प्रतिनिधि कहानियों को इस संग्रह में स्थान दिया गया है। विश्वास है कि कोंकणी की ये श्रेष्ठ कहानियाँ हिंदी पाठकों के बीच भी खूब लोकप्रिय होंगी।

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