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श्रुति

- तुम उस कलम की सुंदर स्याही हो.. (Shruti)

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तुम उस कलम की सुंदर स्याही हो.."" 'श्रुति' कई पंक्तियों और कविताओं का अद्भुत मिश्रण है जो एक बड़े ही सुंदर भाव को अभिव्यक्त करती है।'श्रुति' जिस शब्द का अर्थ उस मधुर संगीत के स्वर से और उस खूबसूरती व वेद पुराणों के गुण से है जो इस विश्व की हर स्त्री में उनके दिव्य आभूषण के रूप में पाया जाता है, उसी 'श्रुति के अन्य किरदार इस किताब में काव्य और कविताओं द्वारा बखूबी दर्शाए गए है। कृष्ण की राधा जैसे तो कभी कृष्ण के सुदामा जैसे, उस प्रिय की प्रियतमा इस जीवन के हर मोड़ पर साथी बनकर तो कभी अर्जुन के कृष्ण जैसे सारथी बनकर साथ निभाती है। इन्हीं काव्य द्वारा उस प्रिय ने अपनी प्रियतमा के प्रति अपने भाव दर्शाते हुए बताया है की कैसे वो कभी चीर देने वाला तीर तो कभी गांडिव बन जाती है, चाँद की ठंडक के साथ साथ वो सूरज के तेज से अपना मुख सँवारति है, वक्त वक्त पर अपने किरदार को किस तरह वह बखूबी निभाती है।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789356671126
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Udgivet:
  • 13. december 2022
  • Størrelse:
  • 127x203x3 mm.
  • Vægt:
  • 59 g.
  • 2-3 uger.
  • 13. december 2024
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Beskrivelse af श्रुति

तुम उस कलम की सुंदर स्याही हो.."" 'श्रुति' कई पंक्तियों और कविताओं का अद्भुत मिश्रण है जो एक बड़े ही सुंदर भाव को अभिव्यक्त करती है।'श्रुति' जिस शब्द का अर्थ उस मधुर संगीत के स्वर से और उस खूबसूरती व वेद पुराणों के गुण से है जो इस विश्व की हर स्त्री में उनके दिव्य आभूषण के रूप में पाया जाता है, उसी 'श्रुति के अन्य किरदार इस किताब में काव्य और कविताओं द्वारा बखूबी दर्शाए गए है। कृष्ण की राधा जैसे तो कभी कृष्ण के सुदामा जैसे, उस प्रिय की प्रियतमा इस जीवन के हर मोड़ पर साथी बनकर तो कभी अर्जुन के कृष्ण जैसे सारथी बनकर साथ निभाती है। इन्हीं काव्य द्वारा उस प्रिय ने अपनी प्रियतमा के प्रति अपने भाव दर्शाते हुए बताया है की कैसे वो कभी चीर देने वाला तीर तो कभी गांडिव बन जाती है, चाँद की ठंडक के साथ साथ वो सूरज के तेज से अपना मुख सँवारति है, वक्त वक्त पर अपने किरदार को किस तरह वह बखूबी निभाती है।

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