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कब सुधरोगे तुम...?

Bag om कब सुधरोगे तुम...?

सदियों पुरानी कहावत है की 'जो जैसा करता है उसे उसका उसी तरह का परिणाम भी मिलता है'। लेकिन कभी-कभी अच्छे लोगों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। वैसे भी ये दुनिया तो सुख और दुःख का संगम है। यहाँ पर हर इंसान को सुख और दुःख दोनों तरह के समुन्दर को पार करना पड़ता है और यही सार्वभौमिक सत्य है।

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  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9798211706194
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 110
  • Udgivet:
  • 26. Januar 2024
  • Størrelse:
  • 127x6x203 mm.
  • Vægt:
  • 118 g.
  • 2-3 uger.
  • 16. Oktober 2024
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Beskrivelse af कब सुधरोगे तुम...?

सदियों पुरानी कहावत है की 'जो जैसा करता है उसे उसका उसी तरह का परिणाम भी मिलता है'। लेकिन कभी-कभी अच्छे लोगों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। वैसे भी ये दुनिया तो सुख और दुःख का संगम है। यहाँ पर हर इंसान को सुख और दुःख दोनों तरह के समुन्दर को पार करना पड़ता है और यही सार्वभौमिक सत्य है।

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