De Aller-Bedste Bøger - over 12 mio. danske og engelske bøger
Levering: 1 - 2 hverdage

नीति -अर्थ - राजनीति (सार्व

Bag om नीति -अर्थ - राजनीति (सार्व

धी के अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता के ऊपर एक बहुत अच्छा शोध बी एन घोष ने अपनी पुस्तक 'गांधियन पॉलीटिकल इकोनामी' में किया है, जहां उन्होंने मलेशिया की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में गांधी की असमानताओं की दृष्टि की गणितीय आधार पर परिकल्पना बनाकर परीक्षण किया है यह सोच अपने आप में एक नवीनता लिए हुए हैं गांधी के अर्थशास्त्र पर लिखने पढ़ने और चिंतन करने वाले नए शोधार्थियों को इस पुस्तक की कार्यप्रणाली और शोध प्रणाली को अपनाना चाहिए गांधी के आर्थिक दृष्टिकोण को हमें और नवीनता से समझना होगा यह बात भी हमें समझनी होगी कि गांधी हो सकता है कई जगह यंत्रों को लेकर, मशीनीकरण को लेकर और समाजवाद को लेकर कुछ गंभीर वैचारिक भूल कर सकते हैं, किंतु इन वैचारिक भूलों पर भी एक वैचारिक विमर्श करना आर्थिक नीति निर्माताओं का कर्तव्य है जिस प्रकार आर्थिक नीति निर्माताओं द्वारा गांधी के आर्थिक दर्शन को छद्मम रूप में अपनाया गया चाहे वह लोकतांत्रिक तौर पर विकेंद्रीकरण हो, या चाहे वह पंचायती राज हो, चाहे वो ग्रामस्वराज हो, और चाहे वह स्वदेशी हो, गांधी की अधूरी आर्थिक अवधारणाओं को अपनाने से इस देश का ही नुकसान है क्योंकि हमें यह समझना होगा कि गांधी का हर एक आर्थिक दर्शन का आधार एक एकमुखी ना होकर बहुआयामी है और यह बहुआयाम,गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों और उनकी नवभारत के निर्माण की अहिंसक परिकल्पना से भी जुड़ा हुआ है

Vis mere
  • Sprog:
  • Hindi
  • ISBN:
  • 9789390889846
  • Indbinding:
  • Paperback
  • Sideantal:
  • 126
  • Udgivet:
  • 1. januar 2021
  • Størrelse:
  • 140x7x216 mm.
  • Vægt:
  • 154 g.
  • 8-11 hverdage.
  • 20. november 2024
På lager

Normalpris

Abonnementspris

- Rabat på køb af fysiske bøger
- 1 valgfrit digitalt ugeblad
- 20 timers lytning og læsning
- Adgang til 70.000+ titler
- Ingen binding

Abonnementet koster 75 kr./md.
Ingen binding og kan opsiges når som helst.

Beskrivelse af नीति -अर्थ - राजनीति (सार्व

धी के अर्थशास्त्र की प्रासंगिकता के ऊपर एक बहुत अच्छा शोध बी एन घोष ने अपनी पुस्तक 'गांधियन पॉलीटिकल इकोनामी' में किया है, जहां उन्होंने मलेशिया की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में गांधी की असमानताओं की दृष्टि की गणितीय आधार पर परिकल्पना बनाकर परीक्षण किया है यह सोच अपने आप में एक नवीनता लिए हुए हैं गांधी के अर्थशास्त्र पर लिखने पढ़ने और चिंतन करने वाले नए शोधार्थियों को इस पुस्तक की कार्यप्रणाली और शोध प्रणाली को अपनाना चाहिए गांधी के आर्थिक दृष्टिकोण को हमें और नवीनता से समझना होगा यह बात भी हमें समझनी होगी कि गांधी हो सकता है कई जगह यंत्रों को लेकर, मशीनीकरण को लेकर और समाजवाद को लेकर कुछ गंभीर वैचारिक भूल कर सकते हैं, किंतु इन वैचारिक भूलों पर भी एक वैचारिक विमर्श करना आर्थिक नीति निर्माताओं का कर्तव्य है जिस प्रकार आर्थिक नीति निर्माताओं द्वारा गांधी के आर्थिक दर्शन को छद्मम रूप में अपनाया गया चाहे वह लोकतांत्रिक तौर पर विकेंद्रीकरण हो, या चाहे वह पंचायती राज हो, चाहे वो ग्रामस्वराज हो, और चाहे वह स्वदेशी हो, गांधी की अधूरी आर्थिक अवधारणाओं को अपनाने से इस देश का ही नुकसान है क्योंकि हमें यह समझना होगा कि गांधी का हर एक आर्थिक दर्शन का आधार एक एकमुखी ना होकर बहुआयामी है और यह बहुआयाम,गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों और उनकी नवभारत के निर्माण की अहिंसक परिकल्पना से भी जुड़ा हुआ है

Brugerbedømmelser af नीति -अर्थ - राजनीति (सार्व



Find lignende bøger
Bogen नीति -अर्थ - राजनीति (सार्व findes i følgende kategorier: